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सच में कितना ख़ूबसूरत है / विवेक तिवारी

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सच में
कितना ख़ूबसूरत है
तुम्हारा नाम
कभी किसी उलझन में
मैं उसे लिखूँ न लिखूँ
पर फूलों में
रंगों में
खुशबू में
सिहरन में
हवाओं के झोंके
तो उसे लिख ही जाते हैं ।