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समय का शोर / हिमांशु पाण्डेय

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जब ध्वनि असीम होकर सम्मुख हो
तो कान बंद कर लेना बुद्धिमानी नहीं
जो ध्वनि का सत्य है
वह असीम ही है ।

चलोगे तो पग ध्वनि भी निकलेगी
अपनी पगध्वनि काल की निस्तब्धता में सुनो
समय का शोर
तुम्हारी पगध्वनि का क्रूर आलोचक होगा।