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साज-सजावट, यह गुलकारी, यह फुलवारी आपकी है / योगेन्द्र दत्त शर्मा

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साज-सजावट, यह गुलकारी, यह फुलवारी आपकी है ।
यह मेहमाननवाज़ी, यह सब ख़ातिरदारी आपकी है !

ख़ुशबू, रँगत, ये फव्वारे, सब तैयारी आपकी है,
ऐशो-इशरत, हर अय्याशी, मनसबदारी आपकी है !

सौम्य, शिष्ट, शालीन लग रहे, क्या ऐयारी आपकी है,
उधर कैमरा भी चालू है, सब हुशियारी आपकी है !

कभी नुमाइश करते अपनी, कभी छिपाते हैं ख़ुद को,
ज़ाहिर हो या पोशीदा हो, लीला सारी आपकी है !

माल तिजोरी से ग़ायब है, आप बताएँ, कैसे है,
आप तिजोरी के मालिक हैं, चौकीदारी आपकी है !

आग लगी है चौराहे पर, घर तक भी आ जाएगी,
अपने घर को आप बचाएँ, ज़िम्मेदारी आपकी है !

आप पैरवी करते उनकी, जो गुनाह में शामिल हैं,
औरों पर इल्ज़ाम लगाते, क्या लाचारी आपकी है !

आप तमाशा रहे देखते, कितने लोग शहीद हुए,
आप बढ़ें अब, आगे आएँ, अब तो बारी आपकी है !

शेर से कैसे बचना है, यह पूछ रहे हैं हमसे क्यों,
हम क्या जानें, आप करें तय, शेर-सवारी आपकी है !