भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सारा जीवन गँवाया तुम्हारे लिये / बलबीर सिंह 'रंग'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सारा जीवन गँवाया तुम्हारे लिये,
तुमको अपना बनाया तुम्हारे लिये।

भेंट कर तुमको गीतों की भागीरथी,
आँसुओं में नहाया तुम्हारे लिये।

धूलिकण जड़ दिये व्योम के भाल पर,
स्वर्ग धरती पे लाया तुम्हारे लिये।

दर्द की दिल में दुनिया बसाये हुये,
उम्र भर मुस्कराया तुम्हारे लिये।

चाहे मानो न मानेा तुम्हारी खुशी,
‘रंग’ महफ़िल में आया तुम्हारे लिये।