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सासू नणद जेठाणी कोन्या मैं बेटे पै दिन तोडूं सूं / मांगेराम

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सासू नणद जेठाणी कोन्या मैं बेटे पै दिन तोडूं सूं
मेरे बेटे की ज्यान बचादे भूप खड़ी कर जोडूं सूं

आए गए मुसाफिर के कदे दो आने भी लूट्टे ना
साधु सन्त महात्मा तै मनैं दिए वचन कदे झूठ्ठे ना
काच्चे गेहूं खेत म्हं सूखै रॉस हुई और उठ्ठे ना
मेरा बेटा के मरण जोग सै दांत दूध के टूट्टे ना
आंसू पड़-पड़ घूंघट भीझै मैं पल्ला पकड़ निचोडूं सूं

18 साल की रांड हुई मैं डळे स्वर्ग म्हं डोहऊं सूं
तन-मन की कोय बूझणियां ना बैठ एकली रोऊं सूं
काफी दिन हुए रांड हुई नै सांस घाल कै सोऊं सूं
कई रोज की भूखी सूं मैं डेढ टिकड़ा पोऊं सूं
और देश नै मोती चुग लिए मैं ठाली रेत पिछोडू सूं

त्रिलोकी के पनमेसर मत एक किसे कै लाल दिए
एक लाल भी दे दे तो फेर मोहर असर्फी माल दिए
बारां साल होए रांड होई न काट भतेरे साल दिए
मेरे बेटे के बदले म्हं आज और किसे नै घाल दिए
तूं जाणैं कै मैं जाणूं के बात शहर म्हं फोडूं सूं

‘मांगेराम’ बुरे कामां तै टळता-टळता टळया रहै
ऊंच का पाणी सदा नीच म्हं ढळता-ढळता टळया रहै
दुश्मन माणस के करले वो अपणे मन म्हं जळया रहै
मेरे बेटे की ज्यान बचादे मेरा भी दीवा बळया रहै
तेगा लेकै नाड़ काटले के तेरे हाथ नै मोडूं सूं