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सुख की होती है परिभाषा अलग अलग / मृदुला झा

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सबके सपने सब की आशा अलग-अलग।

इंसां हो पशु-पक्षी या फिर और कोई,
सब जीवों की अपनी भाषा अलग-अलग।

कोई चाँद सितारे माँगे कोई प्यार,
हर रिश्ते की है जिज्ञासा अलग-अलग।

सुख संपŸिा औलाद की चाहत हर दिल में,
दुनिया में सबकी अभिलाषा अलग-अलग।

सब की चाहत जाल में फँस जाय कोई,
सबके हाथों में है पासा अलग-अलग।