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सुनो सभी! / श्वेता राय

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सुभाष का प्रसार हो, धरा कला विहार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।

समान दृष्टि भाव हो।
समाज से लगाव हो।
कुबुद्धि पंथ दूर हो,
मनुष्यता स्वभाव हो।
सुवास द्वार द्वार हो, सुभाव बुद्धि धार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।

बढ़े चलो रुको नहीँ।
विपत्ति से झुको नहीं।
पुनीत प्राण पुंज है,
सुकर्म से चुको नहीं।
विधर्म राह हार हो,सुधर्म दिव्य सार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।

अनन्त शक्तिमान हो।
सुयोग्य मर्म ध्यान हो।
विशिष्ट ज्ञान को लिए,
सुजीव दैव मान हो।
सुतीक्ष्ण सद् विचार हो, सुलेखनी प्रहार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।