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सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम<ref>खरीदूँगा</ref> हे।
धनि<ref>धन्या, पत्नी</ref> लागि<ref>के लिए, हेतु</ref> जयबइ<ref>जाऊँगा</ref> सेनुरा के हाट, से सेनुरा ले आयम<ref>ले आऊँगा</ref>
एतना कहिए दुलहा उठलन, चलि भेलन<ref>चल पड़ा</ref> मोरँग<ref>नेपाल का एक पूर्वी जिला, जो बिहार के पूर्णिया जिले की सीमा से मिलता है</ref> हे।
मोरँग देसे सेनुरा सहत<ref>सस्ता</ref> भेलइ<ref>हुआ</ref> सेनुरा लेआबल हे॥2॥
लेहु धनि सेनुरा से सेनुरा आउर टिकुली बेनुली<ref>स्त्रियों के ललाट पर साटने के लिए काँच की बनी बिन्दी। इसमें जो बड़ा होता है, उसे टिकुली कहते हैं और जो बिलकुल बिन्दी जैसा छोटा होता है, उसे बिनुली कहते हैं</ref> हे।
धनि साटि लेहु अपन लिलार, चलहु मोर ओबर<ref>ओबर घर का भीतरी भाग</ref> हे॥3॥
कइसे<ref>कैसे</ref> के साटि हम बेनुली, कइसे करूँ सेनुर हे।
कइसे के चलूँ हम ओबर, हम तो कुमार बार<ref>कुमारी और बाला</ref> हे॥4॥
चुटकी भर लेहु न सेनुरबा, सोहगइलबा<ref>लकड़ी की कँगूरेदार छोटी डिबिया, जिसमें विवाह के समय सिन्दूर भरकर दिया जाता है</ref> बेसाहहु<ref>खरीद लाओ</ref> हे।
भरी देहु धानि के माँग, धानि तोहर होयत हे॥5॥
चुटकी भरी लिहलन सेनुरबा, सोहगइलबा बेसाहल हे।
दुलहा भरी देलन धानि के माँग, अब धानि आपन हे॥6॥
बाबा जे रोबथिन मँड़उबा<ref>मण्डप के</ref> बीचे, भइया खँम्हवे धयले<ref>धरे हुए, पकड़े हुए</ref> हे।
अमाँ जे रोबथिन घरे भेल<ref>घर में</ref> अब धिया पर हाथे हे॥7॥
सखि सभ माथा बन्हावल<ref>माया बन्हावल = माथे का बाल बाँधना, अर्थात जूड़ा बाँधना</ref> लट छिटकावल<ref>लटों को छिटकाया</ref> हे।
अजी सखि, चलूँ गजओबर, अब भेल पर हाथ हे॥8॥
सेनुरा सेनुरा जे हम कयलूँ, सुनेरा<ref>सिन्दूर</ref> त काल भेल हे।
सेनुरा से पड़लूँ सजन घर, नइहर<ref>नैहर, मायका</ref> मोर छूटल हे॥9॥
छूटि गेल भाई से भतीजबा, आउरो घर नइहर हे।
अब हम पड़लूँ परपूता<ref>दूसरे का पुत्र</ref> हाँथे, सेनुर दान भेल हे॥10॥

शब्दार्थ
<references/>