भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सो गया घोड़ा खड़े-खड़े / मेराज रज़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नीचे सड़क, ऊपर पहाड़ी,
सड़क पर चली घोड़ा गाड़ी!

आगे गाड़ी, पीछे गाड़ी,
जाम हुआ अगाड़ी-पिछाड़ी!

पीं पो, पीं पो, चिल्लम चो,
धक्का-मुक्की, पिल्लम पो!

क्या हुआ भाई अरे, अरे,
सो गया घोड़ा खड़े-खड़े!