भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्केच / गुलज़ार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

याद है इक दिन

मेरी मेज़ पे बैठे-बैठे

सिगरेट की डिबिया पर तुमने

एक स्केच बनाया था

आकर देखो

उस पौधे पर फूल आया है !