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हँसने का वरदान / रंजन कुमार झा

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कुदरत ने हमको दिया, हँसने का वरदान
हँसकर हमने गढ़ लिए,कितने ही प्रतिमान

 हँसने के सुख का अगर, करें सभी उपभोग
दुखियारी संसार के, भागेंगे हर रोग

हँस लो मेरे दोस्तों, जीवन के दिन चार
रोने पर बुजदिल सदा, कहता है संसार

आती आँखो में उतर, सुंदर-सी तस्वीर
हँसती सूरत देखकर, घट जाती है पीर

हँसना औषधि के सदृश, हँसना है व्यायाम
होती इससे ना कभी, असमय जीवन -शाम

 हँसने के उपचार का, जो कर लें उपयोग
 मिट जाएँगे दाह सब, अद्भुत है यह योग

खुलके हँस कर देखिए, आएगा बदलाव
तट को चूमेगी फँसी, बीच भँवर जो नाव

 हँसना दिल के रोग का, सबसे बड़ा निदान
यह मैं ही कहता नहीं, कहता है विज्ञान

हँसते बच्चे यूँ लगें, उतरें हों भगवान
 सभी संपदा क्षार है, सिवा एक मुस्कान

हँसने वालों को मिला, सदा ईश उपहार
खुश रहने की कोशिशें, नहीं गई बेकार

हँस लो , हँस कर जीतना, जीवन का संग्राम
रोने से, कब कौन-सा, पूर्ण हुआ है काम
 
मुस्काती कलियाँ खिलीं, भौंरे आए पास
हँसकर कलियों ने लिया, जीत भ्रमर -विश्वास

होती है मुस्कान से, प्रेम-मिलन शुरुआत
आगे बढ़ती बात तब, सजती है बारात

 हँसते फांसी पर चढ़े, हँस कर दे दी जान
भगत सिंह का आज भी, करते हम सम्मान

हँसने के दिन चार हैं, रोने के भी चार
हँसकर हल्की जिंदगी, रोकर होती भार

मुझको अपनों ने कहा, हँसते हो क्या खूब
कोई क्या जाने हँसी, है मेरी महबूब

हँस लो आँसू पोछकर, क्यों होते गमगीन
अश्रु बनाएगा तुम्हें, कायर और बलहीन

 प्रेम ,खुशी और जीत का, हँसना दूजा नाम
हँसना उगता भानु है, रोना ढलती शाम

लोगों की शुभकामना, और मिला सम्मान
हँसने के कारण मिली, 'रंजन' को पहचान

 मेरी मंगलकामना, सब मुख हो मुस्कान
हँसता-खिलता देश यह, बने विश्व की शान