भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हक़ीक़त की तह तक पहुँच तो गए हैं / दीप्ति मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हक़ीकत की तह तक पहुँच तो गए हैं लेकिन
मगर सच में ख़ुद को उतारेंगे कैसे।
न जीने की चाहत, न मरने की हसरत
यूँ दिन ज़िन्दगी के गुज़ारेंगे कैसे।