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हमने ख़ुद को खेल में यूँ उलझाया है / अमित शर्मा 'मीत'

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हमने ख़ुद को खेल में यूँ उलझाया है
जान बूझ कर मौत पर दाँव लगाया है

अब के बार हवा का कोई रोल नहीं
हमने ख़ुद ही अपना दिया बुझाय

उसको आँखों से छूने की कोशिश में
हमने बीनाई को बहुत थकाया है

इन ज़ख़्मों से प्यार बहुत है सो हमने
मरहम में भी थोड़ा नमक मिलाया है

रात का ये इल्ज़ाम है के इन आँखों ने
नींद के हुजरे से इक ख़्वाब चुराया है

मुझको ख़ुशियों के साये से दूर रखा
तन्हाई ने अच्छा साथ निभाया है

शक मत करना आईने की फ़ितरत पर
इसने जो भी देखा वही दिखाया है