भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हर दिल हम को सर्द मिला है / ईश्वरदत्त अंजुम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
हर दिल हम को सर्द मिला है
अरमानों में दर्द मिला है

जख़्म जिगर के जब भी कुरेदे
उनमे तेरा दर्द मिला है

दर से तुम्हारे कुछ तो लाये
तुम न मिले तो दर्द मिला है

प्यार की गर्मी नहीं दिलों में
दहर में हर दिल सर्द मिला है

मेरे दिल का दर्द जो बांटे
कोई न ऐसा फर्द मिला है

मायूसी का है ये आलम
इक चेहरा ही ज़र्द मिला है

दर्द कहां मिलता है सबको
दिल वालों को दर्द मिला है

किसे ढूंढता फिरे जहां में
दिल आवारा गर्द मिला है

सच्चे लोग कहां अब अंजुम
जो भी मिला बेदर्द मिला है।