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हाइकु / रश्मि विभा त्रिपाठी / कविता भट्ट

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1
रवि-चुम्बन
पा लहर का मन
करे स्पंदन

सुरजै भुक्की
पैकि लैरौ कु मन
कौरु थत्राट
2
खोलती हवा
झील-वधू का जूड़ा
बिखरी लटें

हवा खोलदी
ताल ब्वारी कु जूड़ा
लटुली फैलि
3
रात के क़िस्से
छेड़े चाँद सिन्धु को
सोने नहीं दे

राता क किस्सा
छेड़ू जून समोद्र
सेंण ई नि द्यो
4
उगा सूरज
धरा- क्यारी में खिले
रश्मि-सुमन

उगी सुरज
पिर्थी क्यारी खिल्यन
किरणू फूल
5
उमड़ा वेग
बूँद-पैंजनी बाँध
नाचते मेघ

उफळि बेग
बुन्द पैजी बाँधी कि
नाचदा बादळ
6
दूर्वा आसन्न
गाती हरित गीत
धरा प्रसन्न

दुब्लू आसण
गाँदि हर्यां का गीत
पिर्थी खुस च
7
अद्भुत रूप
भू -आँचल में टँकी
मोती-सी दूब

अनोखु रूप
पिर्थी पल्ला माँ टँगीं
मोती- सि दुब्लू
 8
वसंत ऋतु
पहन पीत वस्त्र
सज गई भू

वसन्त ऋतु
पिंगळा लत्ता पैरी
सजि गि पिर्थी
9
उन्मुक्त पाखी
देखे स्वर्णिम नभ
भू-दूर्वा-झाँकी

खुल्ला पगछि
हेन्नु सोना क आगास
पिर्थी दुब्लू
10
ताकते गाँव
शहर रास्ता देखे
कहाँ है छाँव
ताकणा गौं ई
सैरौ बाटु देखणा
कख च छैलु
11
शाम ने ढूँढे
गीत गौरैया के भी
हो गए गूँगे

रूम्क खोजदी
गीत घेण्डुड़ी का बि
ह्वे गिन गूँगा
12
जीवन युद्ध
स्वजन ही विरुद्ध
कैसे लड़ूँ मैं ?

जीवन जुद्ध
स्वारा इ बिरुद्ध
कनक्वे लड़ू
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