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हाइकु / शशि बंसल गोयल / रश्मि विभा त्रिपाठी

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1
छितरे बीज
वसुधा मुस्कुराई
गोद है भरी।

छिटान बिया
भुइँयाँ मुस्काइसि
कउँछा भरा।
2
भोर की लाली
ओस तृण मुस्काए
नीरव टूटा।

भुर्का कै लाली
ओस तृन मुस्काने
निरव टूट।
3
किनारे छोड़
लहरें बह रहीं
एकाकी मन।

तीर पर्हरि
हलोरैं बहि रहीं
हिय अकाकि।
4
पनाह पाती
निशा के आँचल में
डरी सड़क।

सरन पावै
निसि कै अँचरा माँ
डिरान् सड़क।
5
पौष की भोर
तुहिन कन फैले
अलाव बूझे।

पूस कै भुर्का
तुहिन कन माँचैं
बुतान कौरा।
6
अँधेरी रात
टिमटिमाता तारा
आशा -किरण।

अँन्हेरि रैनि
टिमकइ उङ्गन
आस- किरन।