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हिलि मिलि लीजिये प्रवीनन ते आठो याम / ठाकुर

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हिलि मिलि लीजिये प्रवीनन ते आठो याम

कीजिये अराम जासोँ जिय को अराम है ।
दीजिये दरस जाको देखिबे की हौँस होय

कीजिये न काम जासे नाम बदनाम है ।
ठाकुर कहत यह मन मे बिचारि देखौ

जस अपजस को करैया सब राम है ।
रूप सो रतन पाय चातुरी सो धन पाय

नाहक गँवाइबो गँवारन को काम है ॥


ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।