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हे लठ्याली तू कैकी बौराण छ? / गढ़वाली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हे लठ्याली<ref>आली</ref> तू कैकी बौराण छ?
धुँवाँ-सी धुपली<ref>महीन</ref>, पाणी सी पतली,
केला-सी गलखी, नौण<ref>मक्खन</ref>-सी गुँदगी,
दिवा जसी जोत, कैकी बौराण छ?
इनी मेरी होंदी जिकुड़ी<ref>हृदय</ref> मा सेंदी<ref>सौती</ref>।
बादल सी झड़ी, दूबला<ref>दूब</ref> सी लड़ी,
भीमल सी सेटकी<ref>छड़ी</ref> लाबू<ref>पत्ता</ref> सी-ठेलकी,
फ्यूँली<ref>एक सुन्दर फूल</ref> की-सी कली, कैकी बौराण छ?
नाक मा छ तोता, जीभ मा क्वील,
आँख्यों माआग, गालू मा गुलाब।
हुड़की-सी कमर, कैकी बौराण छ?
इनी मेरी होंदी, हथगुली मा<ref>हथेली</ref> सेन्दी।
बाँदू<ref>सुन्दरी</ref> मा की बाँद चाँदू मा की चाँद।
चीणा<ref>एक प्रकार का अनाज</ref> जसी झम<ref>बाली</ref>, पालिंगा<ref>पालक</ref> सी डाली।
हिंसर की-सी डाली, कैकी बौराण छ?
घास काटद काटद, बणी छ गितांग<ref>गवैया</ref>
हे लठ्याली दादू, कैकी बौराण छ?

शब्दार्थ
<references/>