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होली / मनोज बोगटी / राजा पुनियानी

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जब तक हर विधवा अपने माथे पर न लगा ले बिन्दी
यह होली मेरे लिए किसी कम्पनी की
बाज़ार योजना से अधिक कुछ नहीं

होली जब इनसानों मे विभेद लाती है
तो इसका अर्थ है
दुनिया के सबसे असुन्दर रंग के ऊपर
चढ़े हुए जीवन का साम्राज्य
फैलते जाना है, फैलते जाना है
अर्थात
कफ़न ओढ़े हुए लाश
और
विधवा की माँग का निषेध करना है ।

रंग वे होने चाहिए
जो सदा जीवन से जुड़े होते हैं
और नीचे से उड़ते हैं. ।

बहुत सारी कम्पनियाँ
आपके आँगन, पड़ोस, बाज़ार
सब जगह खड़ी हुई
घोषणा कर रही हैं
आपके होली पर्व की ।

एक रंग आता है और भाँग पिलाता है
एक रंग आता है और रम पिलाता है
एक रंग आता है और आपको कुरूप बनाता है ।

रंग से पुते हुए आप
पहचान में नहीं आते हैं
तो मुझे हंसी आती है
मुझे हंसता देख आप भी हंसते हैं
रंग का ये चमत्कार घोलकर आप में
सरकार और बाज़ार भी हंसता है
कभी- कभी
हंसना कितना खतरनाक होता है ।