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एहो नंदलाल ऐसी व्याकुल पड़ी है वाल / पद्माकर

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एहो नंदलाल! ऐसी व्याकुल पड़ी है वाल,
            हाल ही चलौ तौ चलौ ,जोरे जुरि जायगी.
कहै पद्माकर नहीं तौ ये झकोरे लगै,
            ओरे लौ अचाका बिन घोरे घुरि जायगी .
सिरे उप्चार्ण घनेरे घनसरन सों,
            देखत ही देखौ दामिनी लौं दुरि जायगी.
तौही लगि चैन जौलौं चेतहिं न चंद्रमुखी,
            चेतैगी कहूँ तौ चाँदनी में चुरि जायगी.