भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खो के वहम-ओ-गुमान की घड़ियाँ / अलका मिश्रा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:44, 25 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अलका मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खो के वहम-ओ-गुमान की घड़ियाँ
मिल गईं इत्मीनान की घड़ियाँ

कोई आकर चला गया लेकिन
रह गईं दरम्यान की घड़ियाँ

वक़्त के इंतज़ार में चुप हैं
एक सूने मकान की घड़ियाँ

चोटियों पर अभी तो पहुंचे थे
आ गईं फिर ढलान की घड़ियाँ

आख़िरी वक़्त मुस्कुराया वो
कट गईं इम्तिहान की घड़ियाँ