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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 1 से 10 तक/पृष्ठ 3

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राग सोरठ

बोलि, बलि, मूँदरी सानुज कुसल कोसलपालु |
अमिय-बचन सुनाइ मेटहि बिरह-ज्वाला-जालु ||

कहत हित अपमान मैं कियो, होत हिय सोइ सालु |
रोष छमि सुधि करत कबहू ललित लछिमन लालु ||

परसपर पति-देवरहि का होति चरचा चालु |
देवि कहु केहि हेत बोले बिपुल बानर-भालु ||

सीलनिधि समरथ सुसाहिब दीनबन्धु दयालु |
दास तुलसी प्रभुहि काहु न कह्यो मेरो हालु ||