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मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।<br>
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हमार मुरली भइल बा चोरी, मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।
जैसे हम हईं तोहरो दुलरुआ ओइसहीं मुरलिया मोरी,<br>
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सूतल रहलीं कदम के छैयां धर बंसी सिरहानी,
मुरलिया दिखलाइ दऽ ए भाई।<br>
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एतने में आ गइल निदिया बैरी, हो गइल मुरली के हानी,
(राजाराम सहनी, सोनपुर)<br><br>
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मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।
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ओहि मुरली में प्राण बसल बा छछन जिअरवा मोरी,
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जैसे हम हईं तोहरो दुलरुआ ओइसहीं मुरलिया मोरी,
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मुरलिया दिखलाइ दऽ ए भाई।
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(राजाराम सहनी, सोनपुर)

20:43, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हमार मुरली भइल बा चोरी, मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।
सूतल रहलीं कदम के छैयां धर बंसी सिरहानी,
एतने में आ गइल निदिया बैरी, हो गइल मुरली के हानी,
मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।
ओहि मुरली में प्राण बसल बा छछन जिअरवा मोरी,
जैसे हम हईं तोहरो दुलरुआ ओइसहीं मुरलिया मोरी,
मुरलिया दिखलाइ दऽ ए भाई।

(राजाराम सहनी, सोनपुर)