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====इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ==== | ====इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ==== | ||
| + | * [[एक दिन स्त्रियाँ / मदन कश्यप]] | ||
| + | * [[तीन बन्दर / मदन कश्यप]] | ||
| + | * [[बस तुम / मदन कश्यप]] | ||
21:48, 8 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण
बस चाँद रोएगा

| रचनाकार | मदन कश्यप |
|---|---|
| प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन, दरियागंज,नई दिल्ली-110002 |
| वर्ष | 2025 |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | मदन कश्यप की कविता इस लोक को सम्बोधित कविता है। वह इसी छोटे, लेकिन मनुष्य के लिए फिर भी बहुत बड़े लोक को जीना चाहती है। यह देह जो नश्वर है, उसके लिए बहुत कुछ है क्योंकि इसी देह के झरोखे पर बैठकर आँखें उस दुनिया को देखती हैं जिसे अन्तत: हमें जीना है। |
| विधा | मुक्तछन्द |
| पृष्ठ | 108 |
| ISBN | |
| विविध |
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