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|उपनाम=Stephen Crane | |उपनाम=Stephen Crane | ||
|जन्म=01 नवम्बर 1871 | |जन्म=01 नवम्बर 1871 | ||
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|मृत्यु=05 जून 1900 | |मृत्यु=05 जून 1900 | ||
− | |कृतियाँ= | + | |कृतियाँ=काले घुड़सवार (1895), दयालु युद्ध (1899) – दोनों कविता-संग्रह |
|विविध=स्टीवन क्रायन को छन्दहीन कविता का प्रणेता माना जाता है। वैसे कवि होने के साथ-साथ स्टीवन क्रायन ने बहुत-सी कहानियाँ और कई उपन्यास भी लिखे हैं। हेमिंग्वे उन्हें अपना साहित्यिक गुरु बताया करते थे और उनकी रचनाओं पर फ़िदा थे। अपनी छोटी सी उम्र में ही उन्होंने पाँच यथार्थवादी, प्रकृतवादी और प्रभाववादी उपन्यास लिखे और अँग्रेज़ी (अमेरिकी) कथा साहित्य में इन वादों के प्रवर्तक माने गए। आलोचकों ने उन्हें कथा साहित्य और कविता में नए बदलाव लाने वाला लेखक माना है। सोलह साल की उम्र में ही उनके कई साहित्यिक लेख प्रकाशित हो चुके थे। तेइस साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास लिखा था, जिसका नाम था – "बोवेरी की कहानी मैगी, एक आवारा लड़की"। आलोचक इसे अमेरिकी प्रकृतवाद की पहली रचना बताते हैं। फिर पच्चीस साल की उम्र में लिखे गए उनके दूसरे उपन्यास – ’साहस का लाल पदक’ को आलोचकों ने सर्वश्रेष्ठ कृति माना। यह उपन्यास अमेरिका में हुए गृह-युद्ध के बारे में है। यह उपन्यास अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित और प्रशंसित हुआ। कुल मिलाकर स्टीवन क्रायन ने दो कविता-संग्रह (कुल १३५ कविताएँ) तीन कहानियाँ और पाँच उपन्यास लिखे। २८ वर्ष की उम्र में उन्हें टी०बी० हो गई और जल्दी ही उनका जर्मनी में देहान्त हो गया। | |विविध=स्टीवन क्रायन को छन्दहीन कविता का प्रणेता माना जाता है। वैसे कवि होने के साथ-साथ स्टीवन क्रायन ने बहुत-सी कहानियाँ और कई उपन्यास भी लिखे हैं। हेमिंग्वे उन्हें अपना साहित्यिक गुरु बताया करते थे और उनकी रचनाओं पर फ़िदा थे। अपनी छोटी सी उम्र में ही उन्होंने पाँच यथार्थवादी, प्रकृतवादी और प्रभाववादी उपन्यास लिखे और अँग्रेज़ी (अमेरिकी) कथा साहित्य में इन वादों के प्रवर्तक माने गए। आलोचकों ने उन्हें कथा साहित्य और कविता में नए बदलाव लाने वाला लेखक माना है। सोलह साल की उम्र में ही उनके कई साहित्यिक लेख प्रकाशित हो चुके थे। तेइस साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास लिखा था, जिसका नाम था – "बोवेरी की कहानी मैगी, एक आवारा लड़की"। आलोचक इसे अमेरिकी प्रकृतवाद की पहली रचना बताते हैं। फिर पच्चीस साल की उम्र में लिखे गए उनके दूसरे उपन्यास – ’साहस का लाल पदक’ को आलोचकों ने सर्वश्रेष्ठ कृति माना। यह उपन्यास अमेरिका में हुए गृह-युद्ध के बारे में है। यह उपन्यास अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित और प्रशंसित हुआ। कुल मिलाकर स्टीवन क्रायन ने दो कविता-संग्रह (कुल १३५ कविताएँ) तीन कहानियाँ और पाँच उपन्यास लिखे। २८ वर्ष की उम्र में उन्हें टी०बी० हो गई और जल्दी ही उनका जर्मनी में देहान्त हो गया। | ||
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स्टीवन क्रायन

जन्म | 01 नवम्बर 1871 |
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निधन | 05 जून 1900 |
उपनाम | Stephen Crane |
जन्म स्थान | नेवार्क, न्यू जर्सी, अमेरिका |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
काले घुड़सवार (1895), दयालु युद्ध (1899) – दोनों कविता-संग्रह | |
विविध | |
स्टीवन क्रायन को छन्दहीन कविता का प्रणेता माना जाता है। वैसे कवि होने के साथ-साथ स्टीवन क्रायन ने बहुत-सी कहानियाँ और कई उपन्यास भी लिखे हैं। हेमिंग्वे उन्हें अपना साहित्यिक गुरु बताया करते थे और उनकी रचनाओं पर फ़िदा थे। अपनी छोटी सी उम्र में ही उन्होंने पाँच यथार्थवादी, प्रकृतवादी और प्रभाववादी उपन्यास लिखे और अँग्रेज़ी (अमेरिकी) कथा साहित्य में इन वादों के प्रवर्तक माने गए। आलोचकों ने उन्हें कथा साहित्य और कविता में नए बदलाव लाने वाला लेखक माना है। सोलह साल की उम्र में ही उनके कई साहित्यिक लेख प्रकाशित हो चुके थे। तेइस साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास लिखा था, जिसका नाम था – "बोवेरी की कहानी मैगी, एक आवारा लड़की"। आलोचक इसे अमेरिकी प्रकृतवाद की पहली रचना बताते हैं। फिर पच्चीस साल की उम्र में लिखे गए उनके दूसरे उपन्यास – ’साहस का लाल पदक’ को आलोचकों ने सर्वश्रेष्ठ कृति माना। यह उपन्यास अमेरिका में हुए गृह-युद्ध के बारे में है। यह उपन्यास अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित और प्रशंसित हुआ। कुल मिलाकर स्टीवन क्रायन ने दो कविता-संग्रह (कुल १३५ कविताएँ) तीन कहानियाँ और पाँच उपन्यास लिखे। २८ वर्ष की उम्र में उन्हें टी०बी० हो गई और जल्दी ही उनका जर्मनी में देहान्त हो गया। | |
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