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<div class='boxheader' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'>'''&nbsp;सप्ताह की कविता'''</div>
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<div id="kkHomePageSearchBoxDiv" class='boxcontent' style='background-color:#F5CCBB;border:1px solid #DD5511;'>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक:''' है धुएँ में सदी<br>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[यश मालवीय]]
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<pre style="overflow:auto;height:20em;">
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<div style="text-align: center;">
है धुएँ में सदी
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
उसको आवाज़ दो
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बन्द घड़ियों को कोई
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                घड़ीसाज दो
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
                साँस को ख़ुशबुओं का
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
                वजीफ़ा तो दो
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अपरिचित पास आओ
                इस उदासी को कोई
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                लतीफ़ा तो दो
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
दोस्ती के कई राज़ लो,
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
              राज़ दो
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
                खिड़कियाँ बन्द हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
                खिड़कियाँ खोल दो
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
                है जो गुमसुम उसे
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
                गीत के बोल दो
+
 
वक़्त के हाथ फिर से
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सबमें अपनेपन की माया
नया साज़ दो
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अपने पन में जीवन आया
                कब से देखा नहीं
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                कहकशाँ की तरफ़
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</div></div>
                मुँह करो तो कभी
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                आसमाँ की तरफ़
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तितलियों को भी
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रंगों का कोलाज दो ।
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</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया