भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दोहा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) |
||
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[Category:दोहे]] | [[Category:दोहे]] | ||
− | दोहा छन्द के पहले तीसरे चरण में 13 मात्रायें और दूसरे–चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। | + | दोहा छन्द के पहले और तीसरे चरण में 13 मात्रायें और दूसरे–चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। विषम (पहले और तीसरे) चरणों के आरम्भ ''जगण'' नहीं होना चाहिये और सम (दूसरे–चौथे) चरणों अन्त में लघु होना चाहिये।<br><br> |
उदाहरण –<br><br> | उदाहरण –<br><br> | ||
− | मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय।<br> | + | मेरी भव बाधा हरो,(13) राधा नागरि सोय।(11)<br> |
− | जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं | + | जा तन की झाँई परे,(13) श्याम हरित दुति होय।।(11)= 24 मात्राएं <br><br> |
− | '''कविता कोश में [http:// | + | '''कविता कोश में [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A3%E0%A5%80:%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A5%87 दोहे]'''<br><br> |
{{KKHindiChhand}} | {{KKHindiChhand}} |
17:38, 10 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
दोहा छन्द के पहले और तीसरे चरण में 13 मात्रायें और दूसरे–चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। विषम (पहले और तीसरे) चरणों के आरम्भ जगण नहीं होना चाहिये और सम (दूसरे–चौथे) चरणों अन्त में लघु होना चाहिये।
उदाहरण –
मेरी भव बाधा हरो,(13) राधा नागरि सोय।(11)
जा तन की झाँई परे,(13) श्याम हरित दुति होय।।(11)= 24 मात्राएं
कविता कोश में दोहे
हिन्दी काव्य छंद |
दोहा . चौपाई . सोरठा . छप्पय . पद . रुबाई . कवित्त . सवैया . रोला . कुण्डली . त्रिवेणी . सॉनेट |
लोक छंद |
काव्य विधाएँ |