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दिपत दिवाकर कौं दीपक दिखावै कहा, | दिपत दिवाकर कौं दीपक दिखावै कहा, | ||
− | तुम सन ज्ञान कहा जानि कहिबौ करैं । | + | ::तुम सन ज्ञान कहा जानि कहिबौ करैं । |
कहै रतनाकर पै लौकिक लगाव मानि, | कहै रतनाकर पै लौकिक लगाव मानि, | ||
− | परम अलौकिक की थाह थहिबौ करैं ॥ | + | ::परम अलौकिक की थाह थहिबौ करैं ॥ |
असत असार या पसार मैं हमारी जान, | असत असार या पसार मैं हमारी जान, | ||
− | जन भरमाये सदा ऐसैं रहिबौ करैं । | + | ::जन भरमाये सदा ऐसैं रहिबौ करैं । |
जागत और पागत अनेक परपंचनि मैं, | जागत और पागत अनेक परपंचनि मैं, | ||
− | जैसें सपने मैं अपने कौं लहिबौ करैं ॥16॥ | + | ::जैसें सपने मैं अपने कौं लहिबौ करैं ॥16॥ |
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09:33, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
दिपत दिवाकर कौं दीपक दिखावै कहा,
तुम सन ज्ञान कहा जानि कहिबौ करैं ।
कहै रतनाकर पै लौकिक लगाव मानि,
परम अलौकिक की थाह थहिबौ करैं ॥
असत असार या पसार मैं हमारी जान,
जन भरमाये सदा ऐसैं रहिबौ करैं ।
जागत और पागत अनेक परपंचनि मैं,
जैसें सपने मैं अपने कौं लहिबौ करैं ॥16॥