हवाएँ चुप नहीं रहतीं
रचनाकार | वेणु गोपाल |
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प्रकाशक | संभावना प्रकाशन, रेवती कुंज, हापुड़-245101 (उत्तरप्रदेश) |
वर्ष | 1980 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 104 |
ISBN | |
विविध |
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इस अकाल काल में
- काले भेडि़ए के ख़िलाफ़ / वेणु गोपाल
- इस हालत में भी / वेणु गोपाल
- हवाएँ चुप नहीं रहती. / वेणु गोपाल
- देखना और सुनना / वेणु गोपाल
- साथ / वेणु गोपाल
- पत्थर नक़ाबों के बाहर / वेणु गोपाल
- अंधेरी रात में दूधिया बारिश / वेणु गोपाल
- एकदम असमय / वेणु गोपाल
- गुज़र रहा हूँ / वेणु गोपाल
- इसी नदी के पानी से / वेणु गोपाल
- सफ़र / वेणु गोपाल
- ख़तरे / वेणु गोपाल
- वत्सल है आकाश / वेणु गोपाल
- सपना मेरा ही है / वेणु गोपाल
नए हाथ जब बन्दूक थामते हैं
- कौन बचता है / वेणु गोपाल
- ये तो दस्तावेज़ हैं / वेणु गोपाल
- हमारी ही बात / वेणु गोपाल
- मैं देख रहा था / वेणु गोपाल
- फ़ुरसत के अभाव में / वेणु गोपाल
- रोज़ यही होता है / वेणु गोपाल
- अख़बार में / वेणु गोपाल
- और सुबह है / वेणु गोपाल
- योद्धा चश्मे ढूंढ़ रहे हैं / वेणु गोपाल
- सुबह हो जाएगी / वेणु गोपाल
- प्राक्सी-1 / वेणु गोपाल
- प्राक्सी-2 / वेणु गोपाल
- प्राक्सी-3 / वेणु गोपाल
- प्राक्सी-4 / वेणु गोपाल
- सुनो हिटलर / वेणु गोपाल
फ़ैसला वे ही हाथ करेंगे
- जनरल डायर / वेणु गोपाल
- बात सिर्फ़ इतनी है / वेणु गोपाल
- चाहे जितना उजाला / वेणु गोपाल
- जेल में एक कविता / वेणु गोपाल
- वे हाथ होते हैं / वेणु गोपाल
- कर्फ़्यू में आदमी / वेणु गोपाल
- गोलीबार से पहले / वेणु गोपाल
- अंधेरा और सलाख़ें / वेणु गोपाल
- इस बार / वेणु गोपाल
यह तो युद्ध है