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जौं हौं कहौं रहिए तौ / केशवदास

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जौं हौं कहौं रहिए तौ प्रभुता प्रगट होति,
          चलन कहौं तौ हित हानि नाहिं सहनो.
भावै सो करहुँ तौ उदास भाव प्राननाथ!
          साथ लै चलहु कैसे लोकलाज बहनो.
केशवदास की सौं तुम सुनहु,छबीले लाल,
          चलेही बनत जौ पै,नाहीं आज रहनो.
जैसियै सिखाऔ सीख तुमहीं सुजान प्रिय,
          तुमहिं चलत मोंहि जैसो कुछ कहनो.

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