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नैनन को तरसैए कहाँ लौं / दास
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नैनन को तरसैए कहाँ लौं,कहा ली हियो बिरहागि मैं तैए.
एक घरी न कहूँ कल पैए,कहाँ लगि प्रानन को कलपैए.
आवै यही अब जी में विचार सखी चलि सौत,कै घर जैए.
मान घटे ते कहा घटिहै जु पै प्रानपियारे को देखन पैए.