प्रयोगशाला
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रचनाएँ |
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कनक-रतनमय पालनो रच्यो मनहुँ मार-सुतहार / तुलसीदास |
पालने रघुपति झुलावै / तुलसीदास |
सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास |
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जुलाई 05, 2009 | ||||||||||||||||||||||
कविता कोश आज तीन वर्ष का हो गया है। हिन्दी काव्य का यह ऑनलाइन कोश इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है सामूहिक प्रयासों द्वारा किसी भी कठिन और विशाल लक्ष्य को पाया जा सकता है। कविता कोश साहित्य के भविष्य का भी दर्पण है। इस कोश में संकलन के द्वारा ना केवल दुर्लभ और लुप्त होती कृतियों को बचाया जा रहा है बल्कि ये कृतियाँ सर्व-सुलभ भी हो रही हैं। रचनाकार कविता कोश में अपनी रचनाओं के संकलन के बाद संतुष्टि का अनुभव करते है कि उनकी रचनाएँ समस्त विश्व में पढी़ जा सकती हैं और सुरक्षित व सुसंकलित हैं। इस तीसरे वर्ष में भी कोश तीव्र गति से आगे बढा़। इसी प्रगति की संक्षिप्त जानकारी नीचे दी जा रही है। आंकडो़ की नज़र से
प्रमुख योगदानकर्ताप्रमुख घटनाएँ |