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सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास

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           राग बिलावल

सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये |
बार-बार बिधुबदन बिलोकति लोचन चारु चकोर किये ||
कबहुँ पौढ़ि पयपान करावति, कबहूँ राखति लाइ हिये |
बालकेलि गावति हलरावति, पुलकति प्रेम-पियूष पिये ||
बिधि-महेस, मुनि-सुर सिहात सब, देखत अंबुद ओट दिये |
तुलसिदास ऐसो सुख रघुपति पै काहू तो पायो न बिये ||