गुलज़ार की रचनायें
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- गुलज़ार की त्रिवेणियाँ
- मुझको भी तरकीब सिखा / गुलज़ार
- ईंधन / गुलज़ार
- ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा / गुलज़ार
- आदतन तुम ने कर दिये वादे / गुलज़ार
- आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुआँ / गुलज़ार
- चलो ना भटके / गुलज़ार
- दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई / गुलज़ार
- एक परवाज़ दिखाई दी है / गुलज़ार
- एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी / गुलज़ार
- हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते / गुलज़ार
- मैं अपने घर में ही अजनबी हो गया हूँ आ कर / गुलज़ार
- नज़्म उलझी हुई है सीने में / गुलज़ार
- क़दम उसी मोड़ पर जमे हैं / गुलज़ार
- साँस लेना भी कैसी आदत है / गुलज़ार
- शाम से आँख में नमी सी है / गुलज़ार
- स्पर्श / गुलज़ार
- वो काट के पुरज़े उड़ा रहा था / गुलज़ार