तुफ़ैल चतुर्वेदी
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जन्म | 20 अगस्त 1961 |
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उपनाम | तुफ़ैल |
जन्म स्थान | काशीपुर, उत्तराखंड, भारत । |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
सारे वरक़ तुम्हारे / तुफ़ैल चतुर्वेदी | |
विविध | |
व्यंग्य और ग़ज़ल की प्रसिद्ध त्रैमासिक पत्रिका "लफ़्ज़" के संपादक | |
जीवन परिचय | |
तुफ़ैल चतुर्वेदी / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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- जिस जगह पत्थर लगे थे रंग नीला कर दिया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- कोई वादा न देंगे दान में क्या / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- किसी को अपना करीबी शुमार क्या करते / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- ग़ज़ल के शेरों की क़ीमत हँसी से माँगते हैं / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- रात जागी न कोई चाँद न तारा जागा / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- बचे-बचे हुए फिरते हो क्यों उदासी से / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- दाग़-धब्बे छोड़ कर अच्छा ही अच्छा देखना / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- वही रगों का टूटना वही बदन निढ़ाल माँ / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- तय तो हुआ साथ ही चलना, कहाँ चला / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- भला लगा मुझे मैं उससे खुशगुमान जो था / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- कुबूल कम है यहाँ बात रद जियादा है / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- शह्र तारीक नज़र धुँधली, ख़राबा तारीक / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- बेचैनी पल-पल मुझे / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- सीधी-सादी शायरी को बेसबब उलझा दिया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- फूल खुश्बू चाँद सूरज रंग संदल लिख दिया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- कुछ इस अदा से तमाम शब, हमपे ख्वाब बरसे / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- मैं खुद से रूशनासी का तरीका देखता हूँ / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- महक रहे हैं फ़ज़ाओं में बेहिसाब से हम / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- तज दे ज़मीन, पंख हटा, बादबान छोड़ / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- जो शायरी की तेरे अंग-अंग ऐसी थी / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- काश उससे मेरा फ़ुरकत का ही रिश्ता निकले / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- धूप होते हुये बादल नहीं माँगा करते / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- वो बिछड़ते वक्त होठों की हँसी लेता गया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- ग़ज़ल का सिलसिला था याद होगा / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- यादें हमलावर थीं कितनी रात उदासी तन्हा मैं / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- छाँव की ख्वाहिश में यूँ मुझको मिला घर धूप का / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- कोई झोंका नहीं है ताज़गी का / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- अश्कों से आंखों का परदा टूट गया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- खुशबुओं की किताब दे आया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- किसी भी झील से हँसते कमल निकालता हूं / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- दुआ किसी की भी ख़िदमतगुज़ार होती नहीं / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- कुछ इस तरह से तिरे ग़म को काल काटता है / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- महकते फूल से लम्हों की जौलानी पलट आयी / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- अब समझौता होना है / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- अब्र का टुकड़ा रुपहला हो गया / तुफ़ैल चतुर्वेदी
- फागुन से मेरे भी रिश्ते निकलेंगे / तुफ़ैल चतुर्वेदी
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