Last modified on 30 जून 2013, at 16:17

लौटना / विमलेश त्रिपाठी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:17, 30 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी |संग्रह=हम बचे रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्यार और सम्बन्ध के बिसर गये अन्तिम संशय
हमारी देह
खड़ी है एक चौराहे पर
प्रयाण को आतुर
गुजरे हुए क्षण की एक घायल चिड़िया
चुप बैठी है
अपने घरौंदे से दूर

और अब हमें
अपनी-अपनी गहराइयों में लौटना है