Last modified on 30 जून 2013, at 16:18

प्रार्थना / विमलेश त्रिपाठी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:18, 30 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी |संग्रह=हम बचे रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नहीं चाहिए वह जिसके लिए
सजानी होती है गोटियाँ
शब्दों से अधिक महत्व अशब्दों का जहाँ
तिकड़मी दुनिया वह
नहीं चाहिए

नहीं चाहिए वह
जिसके होने से कद का ऊँचा होना समझा जाता

चाहिए थोड़ा सा बल, एक रत्ती भर ही त्याग
और एक कतरा लहू, जो बहे न्याय के पक्ष में
उतना ही आँसू भी
थोड़े शब्द
रिश्तों को आँच देते
जिनके होने से
जीवन लगता जीवन की तरह

एक कतरा वही, चाहे वह जो हो
लेकिन जिसकी बदौलत
पृथ्वी के साबुत बचे रहने की सम्भावना बनती है