पत्थर के नीचे दबी घास के पास भी एक कहानी है
जिसे सुनती रहती है बगल में बहती नदी
घास की सफ़ेद जड़ों से जीवन पाने वाले
छोटे-छोटे जीव ही इसके पात्र हैं
सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों के भी आख़िर अपने संसार हैं
सत्य और असत्य की अपनी भूमिकाएँ हैं यहाँ भी
दुविधाओं हताशाओं क्रूरताओं के बीच
यहाँ भी राज करती है लिप्सा ही इस संसार से