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नींद थी और रात थी / सविता सिंह
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नींद थी और रात थी
रचनाकार | सविता सिंह |
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प्रकाशक | राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली |
वर्ष | 2005 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 144 |
ISBN | 81-7119-992-5 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- सुन्दर उदिता / सविता सिंह
- दर्पण-सी हँसी / सविता सिंह
- स्त्री सच है / सविता सिंह
- स्त्री होने का संकट / सविता सिंह
- नीला संसार / सविता सिंह
- तितली की प्रार्थना थी / सविता सिंह
- भटकते सपने / सविता सिंह
- काली तितली / सविता सिंह
- वह ख़ुद तक पहुँचे / सविता सिंह
- पसन्द की जाने वाली स्त्री / सविता सिंह
- मुझे वह स्त्री पसन्द है / सविता सिंह
- जो नारसिसस के साथ डूब गया / सविता सिंह
- लिप्सा / सविता सिंह
- इस तरह दुनिया सुन्दर हुई थी / सविता सिंह
- जिधर हवाओं का शोर था / सविता सिंह
- रात का दरवाज़ा / सविता सिंह
- जहाँ चट्टानें भाषा जानती हैं / सविता सिंह
- सुबह / सविता सिंह
- बनती-बिगड़ती इस दुनिया में / सविता सिंह
- प्रेम करती बेटियाँ / सविता सिंह
- एहसानमन्द हूँ पिता / सविता सिंह
- क्यों होती हो उदास सुमन / सविता सिंह
- याद रखना नीता / सविता सिंह
- ख़ून और ख़ामोशी / सविता सिंह
- शिल्पी ने कहा / सविता सिंह
- अपनी भाषा के लिए / सविता सिंह
- श्रम से कमाए शब्द / सविता सिंह
- दारुण अन्त / सविता सिंह
- जहाँ सोच रही है धूप / सविता सिंह
- दर्शन का रंग / सविता सिंह
- सुन्दर बातें / सविता सिंह
- मध्य-रात्रि में / सविता सिंह
- अजीब इन्तज़ार / सविता सिंह
- सच अभी ऎसा दिख रहा था / सविता सिंह
- नई हवाओं का संगीत / सविता सिंह
- कविता का जीवन / सविता सिंह
- जैसे मानसून की पहली हवा चली हो / सविता सिंह
- अद्वितीय नाच / सविता सिंह
- नींद का रंग / सविता सिंह
- कोई था और नींद थी / सविता सिंह
- मैं कथा कहूंगी / सविता सिंह
- अपनी यातना में / सविता सिंह
- प्रेम के बारे में / सविता सिंह
- प्रतिकार / सविता सिंह
- प्रेम और यातना की कविता / सविता सिंह
- क्रूरता का आत्मछल / सविता सिंह
- एक शीशा थी वह / सविता सिंह
- उसका लौटना / सविता सिंह
- एक चुप्पी / सविता सिंह
- उदास दोपहरों का रहस्य / सविता सिंह
- हिसाब करती औरत / सविता सिंह
- उस लड़की की हँसी / सविता सिंह
- थका बैंगनी फूल / सविता सिंह
- सफ़ेद तितली / सविता सिंह
- बदरंग आसमान और चींटियाँ / सविता सिंह
- आषाढ़ की पहली बारिश की एक बूंद / सविता सिंह
- नया नाच / सविता सिंह
- सहमति / सविता सिंह
- स्त्री चली जाती थी चुपचाप / सविता सिंह
- गरिमामय जीवन के लिए / सविता सिंह
- जैसे एक स्त्री जानती है / सविता सिंह
- नई उलझन / सविता सिंह
- मुक्ति की फ़ायदे / सविता सिंह
- मेरी सखी ललिता / सविता सिंह
- एक दृश्य स्वप्न-सा / सविता सिंह
- अल्पप्राण का साहस / सविता सिंह
- बचा हुआ स्पर्श / सविता सिंह
- रात को एक बार देखा था / सविता सिंह
- शाम / सविता सिंह
- दोपहर / सविता सिंह
- रात / सविता सिंह
- जुगनुओं का प्रकाश / सविता सिंह
- रातरानी की महक / सविता सिंह
- माँ का चेहरा / सविता सिंह
- सौन्दर्य का आश्चर्यलोक / सविता सिंह
- बड़े बाप की बेटियाँ / सविता सिंह
- मेरी माँ नहीं जानती थी / सविता सिंह
- याद करने की पद्धति / सविता सिंह
- हूँ ऎसे इस संसार में / सविता सिंह
- नश्वर / सविता सिंह
- चिड़िया और एकान्त / सविता सिंह
- एक तारा बस / सविता सिंह
- रात ओस बन टपकती है / सविता सिंह
- संश्लिष्ट दुख / सविता सिंह
- कोई परिभाषा / सविता सिंह
- दो फूल / सविता सिंह
- कृतज्ञ हूँ मेरी कविता / सविता सिंह
- कहाँ लिए जा रही हो मुझे मेरी कविता / सविता सिंह
- जैसे चल रही है यह दुनिया / सविता सिंह
- नया अंधेरा / सविता सिंह
- देश के मानचित्र पर / सविता सिंह
- क़त्ल की रात कल ही गुज़री है / सविता सिंह
- मुश्ताक मियाँ की दौड़ / सविता सिंह
- जो कोई भी नेक इन्सान कहेगा / सविता सिंह
- नीला दाग़ / सविता सिंह
- वहाँ सब कुछ ठीक था / सविता सिंह
- एक लहर उम्मीद की / सविता सिंह
- जैसे सौन्दर्य में स्वायत्त स्त्रियाँ / सविता सिंह
- जब लिख नहीं पाती / सविता सिंह
- एक विश्वास था / सविता सिंह
- मैं छोड़े जा रही हूँ यह ज़िद / सविता सिंह
- सिर्फ़ गिरना है जहाँ / सविता सिंह
- कोई सच नहीं बोलता अब / सविता सिंह
- सारा आकाश एक बन्द किवाड़ है / सविता सिंह
- ग्लानि / सविता सिंह
- सच कहीं चला गया / सविता सिंह
- जहाँ मेरा देश था / सविता सिंह
- अन्त / सविता सिंह
- समय का चेहरा / सविता सिंह
- एक रास्ता / सविता सिंह
- प्रेम / सविता सिंह
- बदली=बदली यह दुनिया / सविता सिंह
- नृत्यमग्न छाया / सविता सिंह
- एक दिन वह सैर पर निकली / सविता सिंह
- कोहरा, नदी और नाव / सविता सिंह