बारिश का अंटका पानी
ढलानों के दरबे में
नदी की छाड़न का
गंदला जमाव
सूखने लगता है धीरे-धीरे
घमाते अंकुर लेते बीज
तोड़ते हैं मौन ऐसे ही मौके पर
जब गुस्से में दहकने लगता हो सूर्य!।
बारिश का अंटका पानी
ढलानों के दरबे में
नदी की छाड़न का
गंदला जमाव
सूखने लगता है धीरे-धीरे
घमाते अंकुर लेते बीज
तोड़ते हैं मौन ऐसे ही मौके पर
जब गुस्से में दहकने लगता हो सूर्य!।