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आज का दौर सच से आरी है / सिया सचदेव

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आज का दौर सच से आरी है
हर तरफ इक फ़रेबकारी है

आप मेरा यक़ीन तो कीजे
ये ज़मीं चाँद से उतारी है

नन्हें हाथों में एक बच्चे के
काग़ज़ी नाव कितनी प्यारी है

काम आता है कौन मुश्किल में
सिर्फ मतलब की रिश्तेदारी है

मुझ में वो हौसला हैं जीने का
मौत हर बार मुझसे हारी है

सबको इक दिन शिकार होना है
वक़्त सबसे बड़ा शिकारी है

उससे मिलने के वास्ते ऐ सिया
ये तसव्वुर भी इक सवारी है