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फ़िक़्र की धूप में / सिया सचदेव
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फ़िक़्र की धूप में
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रचनाकार | सिया सचदेव |
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विधा | ग़ज़ल |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- जय वीणा पुस्तक धारिणी उपकार कर / सिया सचदेव
- जो मुश्किलात हैं उनको ज़वाल दे या रब / सिया सचदेव
- कोई चादर यहाँ तानी तो जाये / सिया सचदेव
- मेरी रुसवाई का यूँ जश्न मनाया तुमने / सिया सचदेव
- फ़सील-ए-दर्द को मैं मिस्मार करने वाली हूँ / सिया सचदेव
- दुनियाँ की ख़्वाहिशों के तलबगार की तरह / सिया सचदेव
- दिल धड़कता है तो नग़मात बदल जाते हैं / सिया सचदेव
- अपनी पलकों पे मेरे अश्क़ सजाते जाओ / सिया सचदेव
- अश्क़ में ढल के निकलता क्यों है / सिया सचदेव
- फिर तेरा ऐतबार क्या करती / सिया सचदेव
- हमारे सिम्त मुख़ालिफ़ हवा जो चलने लगी / सिया सचदेव
- शब गुज़ीदा है मगर फिर भी सहर जैसा है / सिया सचदेव
- ऐ ख़ुदा बस इक मेरा ग़मख़्वार तू / सिया सचदेव
- आईना रख के सामने बैठा न कीजिये / सिया सचदेव
- ग़र हो मेरी हयात में बस एक काम हो / सिया सचदेव
- ख़ुद में थी गुम तो अक्स की हाजत नहीं रही / सिया सचदेव
- तुम मुझे जितना आज़माते हो / सिया सचदेव
- ये जो तुम मुझ पे ज़ुल्म ढाते हो / सिया सचदेव
- मैं हिफाज़त से तेरा दर्द ओ अलम रखती हूँ / सिया सचदेव
- उदासी से भरा आलम / सिया सचदेव
- क्या मिला कैसे मिला चलता रहा / सिया सचदेव
- नेक हर मेरी राह हो जाये / सिया सचदेव
- माना बे-रंग ज़िन्दगानी है / सिया सचदेव
- सोच लीजेगा ज़रा नाज़-ओ-अदा से पहले / सिया सचदेव
- ऐसे इंसां कम ही मिलते हैं हमें संसार में / सिया सचदेव
- देख लो मुझको आईना हूँ मैं / सिया सचदेव
- जो सीने में धड़कता दिल न होता / सिया सचदेव
- सब को मीठे बोल सुनाती रहती हूँ / सिया सचदेव
- पहले अपने दिल को दीवाना कहूँ / सिया सचदेव
- जरा सी बात पे इतने वबाल करता है / सिया सचदेव
- कब तलक आखिर रहेगी बे-ज़ुबानी आपकी / सिया सचदेव
- रोज़ शब होते ही सारे घर को महकाती हूँ मैं / सिया सचदेव
- ढूँढ़िए लाख मगर दोस्त कहाँ मिलते हैं / सिया सचदेव
- बात होगी तो रू-ब-रू होगी / सिया सचदेव
- यही कह रहे हैं सभी अज़्म वाले / सिया सचदेव
- हमको आदत है चोट खाने की / सिया सचदेव
- उसके हर ज़ुल्म को क़िस्मत का लिखा कहते हैं / सिया सचदेव
- घर से मंदिर में रोज़ जा के चराग़ / सिया सचदेव
- मुझको अच्छा सिला दिया तूने / सिया सचदेव
- इक महल ख़्वाब का आँखों में सजाया हमने / सिया सचदेव
- वो जो इस बार हमनवां हो जाएँ / सिया सचदेव
- कोई हो न हो पर तेरी याद होगी / सिया सचदेव
- ख़ुदा के रूप में हमको अगर न माँ मिली होती / सिया सचदेव
- ग़ैर की क्या बात कीजे अपना जब तू भी नहीं / सिया सचदेव
- तेरा किरदार कुछ दिखाई तो दे / सिया सचदेव
- ये धूप न धरती के बदन को ही जला दे / सिया सचदेव
- इस तरह जज़्ब हुआ है मेरा साया मुझ में / सिया सचदेव
- मेरी तरह ही तेरा हाल-ए-ज़ार है की नहीं / सिया सचदेव
- छूट जायेगा तेरी दुनिया का ये मैख़ाना आज / सिया सचदेव
- हसरत निकल न पाई मगर दम निकल गया / सिया सचदेव
- ज़िंदगी में मेरी तूफ़ान उठाता क्यूँ है / सिया सचदेव
- चाहा जो ज़िंदगी से कभी वो मिला नहीं / सिया सचदेव
- बोझ हस्ती का यूँ उठाना है / सिया सचदेव
- ये ना देखो की है बयान में क्या / सिया सचदेव
- आज का दौर सच से आरी है / सिया सचदेव
- सितम ढ़ाया है मुझ पर हर किसी ने / सिया सचदेव
- क्या हो हमारी रामकहानी में क्या न हो / सिया सचदेव
- सच्चे दिल से ग़र इबादत हो गयी / सिया सचदेव
- मालिक भी उसी शख़्स को ख़ुद याद करे है / सिया सचदेव
- वह शख़्स लगे है मुझे अनजान अभी तक / सिया सचदेव
- क्यूँ तुझको लग रहा है कि तुझसे ज़ुदा हूँ मैं / सिया सचदेव
- हर शख़्स के दामन यूँ कभी चाक नहीं थे / सिया सचदेव
- नफ़रत का ज़माने में गर नाम नहीं होता / सिया सचदेव
- ग़म का तन्हा ही तुझे साथ निभाना होगा / सिया सचदेव
- धुँआ बन बन के उठती है हमारे आह सीने से / सिया सचदेव
- ज़िन्दगानी को कभी मेरी संवारा होता / सिया सचदेव
- वफ़ा हालत पे अपनी रो रही है / सिया सचदेव
- धूप का आसेब चेहरे से हटाना चाहिए / सिया सचदेव
- मेरी इबादतों में छिपा है ख़ुशी का राज़ / सिया सचदेव
- मसअला दिल का है अब कुछ तो इसका हल कर दे / सिया सचदेव
- चराग़ ए राह जलाया था रौशनी के लिए / सिया सचदेव
- हाथ कुछ आया नहीं अब और बस / सिया सचदेव
- सब्र को अपने यूँ आज़माया करो / सिया सचदेव
- जुस्तजू के लिए ख़ुशी भी नहीं / सिया सचदेव
- एहसास के ज़ख्मों को छिपाना भी नहीं है / सिया सचदेव
- ये दुश्मनी ये हिक़ारत ये बेहिसी क्यों है / सिया सचदेव
- दर्द जो दिल में निहाँ है सो निहाँ रहने दो / सिया सचदेव
- ख़्वाब आँखों ने इक बुना है ना / सिया सचदेव
- तिरी क़ुर्बत वो पाना चाहता है / सिया सचदेव
- हौसला पाती हूँ मैं अपने को समझाने के बाद / सिया सचदेव
- तुझ से रिश्ता है जो वो जान से प्यारा है मुझे / सिया सचदेव
- ख़ौफ़ तन्हाइयों से खाने लगी / सिया सचदेव
- कुछ गुमाँ भी है कुछ यक़ीं भी है / सिया सचदेव
- कुछ लोगों की दुनिया में, फितरत ही ज़फा की है / सिया सचदेव
- वो घर में रह के भी दुनिया संभाल सकती है / सिया सचदेव
- मैं तेरे दर्द की दुनिया बहाल रखती हूँ / सिया सचदेव
- खेल समझे थे दिल लगाने को / सिया सचदेव
- फिर वो मौसम न सुहाने आये / सिया सचदेव
- हर सिम्त तमाशा ही ज़माने में रह गया / सिया सचदेव
- क्यूँ तुझको लग रहा है कि तुझसे ज़ुदा हूँ मैं / सिया सचदेव
- ज़ात से अपनी शर्मसार नहीं / सिया सचदेव
- हसरतों की उडान है लोगों / सिया सचदेव