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जो मुश्किलात हैं उनको ज़वाल दे या रब / सिया सचदेव
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जो मुश्किलात हैं उनको ज़वाल दे या रब
मेरे नसीब का सूरज निकाल दे या रब
मेरे क़लम से मसावात<ref>समानता</ref> के चराग़ जलें
तू मेरे ज़ेहन को ऐसे ख़याल दे या रब
भॅवर के बीच फँसी है हयात की कश्ती
करम से अपने इसे भी निकाल दे या रब
फरेब ओ मकर के जाले उतार दे सब लोग
मेरे बयान में ऐसा कमाल दे या रब
मेरी पसीने की रोटी सुकूँ की ज़ामिन है
मुझे तू जो भी दे,रिज़क ए हलाल दे या रब
हवा ए दहर से मुझको बचाये जो हर वक़्त
करम की अपनी मुझे ऐसी शाल दे या रब
शब्दार्थ
<references/>