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मालिक भी उसी शख़्स को ख़ुद याद करे है / सिया सचदेव

मालिक भी उसी शख़्स को ख़ुद याद करे है
जो उसकी इबादत करे फ़रियाद करे है

अल्लाह से ज़न्नत में लिखा लेगा घर अपना
वो शख़्स ग़रीबों की जो इमदाद करे है

औलाद पे रहमत ही बरसती है हमेशा
माँ बाप की ख़िदमत अगर औलाद करे है

बरसों जो किया मश्क़े -सुख़न आपने हरदम
मज़बूत यही आपकी बुनियाद करे है

मिट जाए ज़माने से ये सब ज़ुल्म ये नफ़रत
दिल मेरा हर इक पल यही फ़रियाद करे है

इक शहर है वीरान सा कब से मेरे अंदर
अब देखो इसे कौन कब आबाद करे है

यह कैसा ज़माना है के यहाँ इल्म की इज़्ज़त
शागिर्द करे है न अब उस्ताद करे है