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मेरी तरह ही तेरा हाल-ए-ज़ार है की नहीं / सिया सचदेव
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मेरी तरह ही तेरा हाल-ए-ज़ार है की नहीं
के तेरे दिल में भी तस्वीर-ए-यार है के नहीं
किसी को देखा था मुद्दत हुई नज़र भर के
ये क्या बताऊँ अभी तक ख़ुमार है के नहीं
बहुत अज़ीब सा मौसम है दिल के गुलशन में
मगर ये राज़ न पूछो बहार है के नहीं
वो एक पल भी गुज़रता नहीं था जिसके बगैर
वो पूछता है मुझे उस से प्यार है के नहीं
न सोच कितना गुलिस्तां पे है हमारा हक़
ये सोच हम पे चमन का उधार है के नहीं