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क्या मिला कैसे मिला चलता रहा / सिया सचदेव

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क्या मिला कैसे मिला चलता रहा
ज़िन्दगी का सिलसिला चलता रहा

हम तो थक कर रुक गए कुछ गाम पर
हाँ ! मगर वो क़ाफ़िला चलता रहा

चाहकर भी हम न तेरे हो सके
दरमियां इक फासला चलता रहा

हमसफ़र इक राह के हम-तुम रहें
बस यहीं शिकवा-गिला चलता रहा

ज्यों वो मुरझाया ज़मीं पर गिर गया
फूल जब तक था खिला चलता रहा