ऐ ख़ुदा बस इक मेरा ग़मख़्वार तू
तू ही रब परमात्मा करतार तू
मैं फ़ना हो जाउँ तेरे नाम पर
है मेरी हर सांस का मुख्तार तू
तेरे ही दर पे झुकेगा सर मेरा
रहमतों की सर पे रख दस्तार तू
जो भी होता है रज़ा उसकी समझ
किस लिए मन हो रहा बेज़ार तू
लोग नफ़रत की तिजारत में मगन
इनके दिल में दे दया और प्यार तू
जिनकी तबीरों में हो तेरी रज़ा
कर वहीं सपने मेरे साकार तू
ऐ ख़ुदा तुझसे है मेरी इल्तेज़ा
भटकी कश्ती हूँ लगा दे पार तू