भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल धड़कता है तो नग़मात बदल जाते हैं / सिया सचदेव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल धड़कता है तो नग़मात बदल जाते हैं
इश्क़ होता है तो दिन रात बदल जाते हैं

उसके जाते ही हवा ख़ून जलाती है मेरा
शहर ए दिल के सभी हालात बदल जाते हैं

वक़्त बदला है तो मेयार-ए-शिकायत बदला
चंद लम्हों में सवालात बदल जाते हैं

साख़ बनती ही नहीं उनकी कभी दुनिया में
वक़्त बेवक़्त जो बे-बात बदल जाते हैं

वक़्त के हाथ में रहती है किताब ए दुनिया
और हर रोज़ ही सफ़हात बदल जाते हैं

फूल को छूके जो आये तो महक जाये हवा
नेक़ सोहबत से ख़्यालात बदल जाते हैं

अपने ख़ालिक पे सिया जिनको भरोसा ही नहीं
मुफ़लिसी में वहीं हज़रात बदल जाते हैं