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ख़्वाब आँखों ने इक बुना है ना / सिया सचदेव
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ख़्वाब आँखों ने इक बुना है ना
आपका साथ बा ख़ुदा है ना!
मेरी मरती हुई उम्मीदों को
ज़िंदगी का दिया पता है ना!
गुमशुदा थी कई ज़माने से
मुझ को मुझसे दिया मिला है ना!
वक़्त की आग ने जला कर यूँ
तुमको कुंदन बना दिया है ना!
थी खुले सायबान की चाहत
तुमने रास्ता दिखा दिया है ना!
दिल भी अपनी तरफ झुका लेना
मैंने सर तो झुका लिया है ना!
जिस्म हारा है जान बिस्मिल है
मेरी उल्फत का ये सिला है ना!
फिर रही थी तलाश ए हस्ती में
मेरी मंज़िल का तू पता है ना!