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हौसला पाती हूँ मैं अपने को समझाने के बाद / सिया सचदेव

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हौसला पाती हूँ मैं अपने को समझाने के बाद
शायरी ज़िंदा रक्खेगी मुझको मर जाने के बाद

मुन्कशिफ़ होती हैं दुनिया की सभी सच्चाइयाँ
दर्द के गहरे समंदर में उतर जाने के बाद

मैं न कहती थी संभल जाओ मगर माने नहीं
अब खुली आँखे तुम्हारी ठोकरे खाने के बाद

इश्क़ के तूफ़ान ने जिसको छुआ वो बह गया
ख़ुद वो पागल हो गए है मुझको समझाने के बाद

ख़ुदबख़ुद पल पल महकता है मिरा अपना वजूद
उसके ख़ुश्बू की तरह मुझ में समाँ जाने के बाद

मुतमइन हूँ किस क़दर इसकी है बस मुझको ख़बर
आरज़ू अब ख़त्म है सारी तुझे पाने के बाद